कब है होली:- होली का मौसम आते ही हर तरफ एक सवाल गूंजने लगता है—होली कब है? इस बार भी 2025 में लोग अपने रिश्तेदारों को फोन घुमा-घुमाकर पूछ रहे हैं, “आप कब होली मना रहे हैं?” कोई कह रहा है, “14 मार्च को,” तो कोई 15 मार्च की बात कर रहा है। कुछ तो इतने कन्फ्यूज्ड हैं कि बोले, “भाई, बहुत कन्फ्यूजन है, 14 को मनाएं या 15 को?” और कुछ ठहरे देसी ठाठ वाले, जो कहते हैं,
“हम तो दोनों दिन होली मनाएंगे—एक दिन छोटी होली, दूसरे दिन बड़ी होली!” हर कॉलोनी, हर मुहल्ले में बस यही चर्चा है। तो चलिए, इस कन्फ्यूजन को दूर करते हैं और हिंदू पंचांग के हिसाब से सही तारीख और होलिका दहन का मुहूर्त समझते हैं। मैं आपके लिए इसे आसान, रोचक, और बिल्कुल सटीक तरीके से तोड़कर बताऊंगा—जैसे दोस्तों के साथ गप्पें मारते हुए सारी बात साफ हो जाए।

होली का कन्फ्यूजन: 14 या 15 मार्च?
हर साल होली की तारीख को लेकर हल्का-फुल्का ड्रामा तो बनता ही है। इस बार भी लोग फोन पर एक-दूसरे से पूछ रहे हैं, “तेरे यहां कब है होली?” कोई कहता है, “13 को होलिका दहन, 14 को होली,” तो कोई बोलता है, “नहीं-नहीं, 15 को रंग खेलेंगे।” कुछ लोग तो इतने उत्साही हैं कि बोले, “हम तो 14 को छोटी होली और 15 को बड़ी होली मनाएंगे—दो दिन का मजा लेंगे!” लेकिन असल में क्या है सही तारीख? इसके लिए हमें पंचांग की शरण में जाना होगा।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होता है, और अगले दिन, यानी चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगों वाली होली मनाई जाती है। अब 2025 की बात करें तो फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे खत्म होगी। मतलब, पूर्णिमा डेढ़ दिन तक चल रही है। लेकिन होलिका दहन रात में किया जाता है, और होली अगले दिन। तो सही तारीख क्या होगी? चलिए, इसे स्टेप-बाय-स्टेप देखते हैं।
होलिका दहन: कब और कैसे?
होलिका दहन का समय बहुत खास होता है। इसे प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) में करना चाहिए, और भद्रा (एक अशुभ समय) से बचना जरूरी है। 2025 में भद्रा का साया 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होगा और रात 11:26 बजे तक रहेगा—करीब 13 घंटे तक। भद्रा में होलिका दहन नहीं होता, इसलिए हमें इसके खत्म होने का इंतजार करना होगा।
- शुभ मुहूर्त: 13 मार्च को रात 11:26 बजे भद्रा खत्म होगी, और इसके बाद से 14 मार्च को रात 12:30 बजे तक का समय होलिका दहन के लिए सबसे शुभ माना गया है। यानी आपको 1 घंटे 4 मिनट का विंडो मिलेगा, जिसमें लकड़ियां जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जा सकता है।
- क्यों खास है यह समय: पुजारी और ज्योतिषी मानते हैं कि सही मुहूर्त में होलिका दहन करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।
तो साफ है—होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा। अब अगला सवाल: होली कब?
होली की सही तारीख: 14 मार्च ही क्यों?
होलिका दहन के अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। चूंकि होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा, तो 14 मार्च को सुबह से रंग, गुलाल, और पिचकारियों का दौर शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग में उदया तिथि (सूर्योदय के समय जो तिथि हो, वही मान्य होती है) के आधार पर त्योहार तय होता है। 14 मार्च को सुबह पूर्णिमा तिथि खत्म होकर प्रतिपदा शुरू होगी, जो होली की सही तारीख है।
लेकिन फिर 15 मार्च की बात क्यों? कुछ लोग कहते हैं कि पूर्णिमा 14 मार्च को दोपहर तक चल रही है, तो क्या 15 को होली मनानी चाहिए? इसका जवाब है—नहीं। वैदिक नियमों के हिसाब से होली हमेशा होलिका दहन के अगले दिन ही मनाई जाती है, और इस बार वह 14 मार्च है। हां, कुछ जगहों पर स्थानीय परंपराओं के चलते लोग 15 मार्च को भी हल्के-फुल्के रंग खेल सकते हैं, लेकिन मुख्य त्योहार 14 को ही होगा।
निष्कर्ष: होलिका दहन 13 मार्च की रात, और होली 14 मार्च को। 15 मार्च को होली का कोई वैदिक आधार नहीं है, सिवाय इसके कि कुछ लोग दो दिन तक मस्ती करना चाहते हैं!
कन्फ्यूजन का कारण: लोग क्यों पूछ रहे हैं “14 या 15?”
अब सवाल यह है कि आखिर यह कन्फ्यूजन आया कहां से? इसके पीछे कुछ ठोस कारण हैं:
- तिथि का ओवरलैप: पूर्णिमा तिथि 13 से 14 मार्च तक फैली है। कुछ लोग सोचते हैं कि अगर 14 को दोपहर तक पूर्णिमा है, तो होली 15 को होनी चाहिए। लेकिन वे भूल जाते हैं कि होली प्रतिपदा को मनती है, जो 14 को शुरू हो रही है।
- स्थानीय रिवाज: कई जगहों पर होली दो दिन तक चलती है। मिसाल के तौर पर, मथुरा-वृंदावन में होली का उत्सव कई दिनों तक रहता है। कुछ लोग 14 को छोटी होली और 15 को बड़ी होली मनाते हैं। इसीलिए रिश्तेदारों को फोन करके पूछते हैं, “आप कब मना रहे हैं?”
- सोशल ट्रेंड: आजकल लोग फोन पर बातें करते हैं, और हर कोई अपनी सुविधा से तारीख फिक्स करना चाहता है। कोई बोला, “14 को ऑफिस है, तो 15 को मनाएंगे!” तो कोई कहता है, “13 को होलिका दहन, 14 को रंग—बस हो गया!”
लेकिन पंचांग की नजर से देखें तो 14 मार्च ही सही तारीख है। फिर भी, अगर आप दो दिन मस्ती करना चाहते हैं, तो कौन रोक रहा है?
होली 2025 की खासियत
इस बार होली में कुछ खास संयोग भी बन रहे हैं, जो इसे और यादगार बनाएंगे:
- शिववास योग: 14 मार्च को यह शुभ योग बन रहा है, जो सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन पूजा और दान का खास महत्व होगा।
- चंद्र ग्रहण: 14 मार्च को सुबह 9:27 से दोपहर 3:30 बजे तक चंद्र ग्रहण है, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा। मतलब, सूतक काल की चिंता नहीं—होली का मजा पूरा लें।
पंडित जी कहते हैं, “इस बार होली का त्योहार सकारात्मक ऊर्जा से भरा होगा। रंगों के साथ-साथ अपनों से रिश्ते भी मजबूत होंगे।”
तैयारी कैसे करें?
- 13 मार्च (होलिका दहन): शाम को लकड़ियां, उपले, और पूजा का सामान (रोली, फूल, बताशे) तैयार करें। रात 11:26 बजे के बाद होलिका जलाएं और परिवार के साथ मंत्र पढ़ें। थोड़ी राख घर लाएं—शुभ मानी जाती है।
- 14 मार्च (होली): सुबह रंग-गुलाल तैयार करें। दोस्तों के साथ मस्ती करें, गुजिया खाएं, और ठंडई का मजा लें।
अगर आप उन लोगों में से हैं जो कहते हैं, “हम दोनों दिन मनाएंगे,” तो 15 को भी हल्के रंग खेल लीजिए—कोई नियम तोड़ नहीं रहे!
तो होली कब मनाएं आप?
हिंदू पंचांग कहता है—13 मार्च को होलिका दहन, 14 मार्च को होली। लेकिन सच तो यह है कि होली दिल से मनाई जाती है। लोग अपने रिश्तेदारों को फोन करके पूछ रहे हैं, “आप कब मना रहे हैं?” कोई कहता है, “14 को,” कोई कहता है, “15 को,” और कुछ ठहरे मस्तमौला, जो बोले, “दोनों दिन!” कन्फ्यूजन का जवाब साफ है—14 मार्च को देशभर में धूमधाम से होली होगी। लेकिन अगर आपकी कॉलोनी या मुहल्ले में 15 को भी रंग उड़ने वाले हैं, तो मजे को दोगुना कर लीजिए।
होली का असली रंग तो प्यार, हंसी, और अपनों के साथ में है। तो फोन उठाइए, रिश्तेदारों को बोलिए, “14 को तैयार रहो, रंग लेकर आ रहा हूं!” और हां, होलिका दहन का मुहूर्त न भूलें—13 मार्च, रात 11:26 से 12:30 तक। आपकी होली रंगों से भरी और खुशियों से गुलजार हो!