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पेव्ड शोल्डर वाली दो लेन की सड़क बनेगी: अररिया-परसरमा मार्ग को केंद्र सरकार ने दी अंतिम रूपरेखा

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पेव्ड शोल्डर वाली दो लेन की सड़क बनेगी:- बिहार के कोसी इलाके में एक नई सड़क का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है। Central Government ने Ministry of Road Transport and Highways के जरिए अररिया-परसरमा (सुपौल) सड़क, यानी National Highway 327E (NH 327E) के alignment को मंजूरी दे दी है। ये खबर सिर्फ एक project की बात नहीं है—ये लोगों को जोड़ने, तरक्की को बढ़ावा देने और कोसी के लोगों की जिंदगी को आसान बनाने की कहानी है। आइए, इसे step-by-step समझते हैं और देखते हैं कि ये 111.82 किलोमीटर लंबी सड़क बिहार के लिए क्या लेकर आ रही है।


पेव्ड शोल्डर वाली दो लेन की सड़क बनेगी
पेव्ड शोल्डर वाली दो लेन की सड़क बनेगी

परियोजना का खुलासा: क्या है योजना?

अररिया-परसरमा हाईवे को बड़ा अपग्रेड मिल रहा है, जो अब two-lane road with paved shoulders (2L+PS) के रूप में तैयार होगा। ये सड़क 111.82 किलोमीटर लंबी होगी, जो कोसी इलाके के अहम कस्बों जैसे अररिया और सुपौल को जोड़ेगी। इसे आसान भाषा में समझें:

  • Design: दो लेन (एक तरफ आने के लिए, एक जाने के लिए) और paved shoulders—सड़क के किनारे अतिरिक्त पक्की जगह जो सुरक्षा और सुविधा देगी।
  • Length Breakdown:
  • 75.04 किमी मौजूदा सड़क को चौड़ा किया जाएगा।
  • 12.18 किमी नया alignment होगा।
  • 24.60 किमी में bypasses होंगे, ताकि भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचा जा सके।
  • Spurs: छोटी सड़कें—सुपौल शहर के लिए 1.749 किमी और त्रिवेणीगंज के लिए 3.288 किमी—इन कस्बों को हाईवे से जोड़ेंगी।
  • Speed Limit: गाड़ियां 100 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकेंगी—आज के धीमे, उबड़-खाबड़ सफर से बड़ी छलांग।
  • Infrastructure: दो railway overbridges, दो flyovers, और दो vehicle underpasses ट्रैफिक को सुचारु और सुरक्षित रखेंगे।

कुल cost? 1979.51 करोड़ रुपये। ये पैसा नई सड़क, bridges, bypasses, और land acquisition पर खर्च होगा। Hybrid Annuity Model के तहत ये project बनेगा, जिसमें निर्माण एजेंसी 60% खर्च उठाएगी और बाकी सरकार समय के साथ देगी। ये तरीका बजट को संतुलित रखते हुए काम शुरू करने का स्मार्ट रास्ता है।


ये सड़क क्यों, अभी क्यों?

बिहार का सड़क नेटवर्क, खासकर कोसी इलाके में, हमेशा कमजोर रहा है। अररिया-परसरमा मार्ग (NH 327E) सिर्फ एक हाईवे नहीं—ये एक जीवन रेखा है। ये सड़क सुपौल, पिपरा, त्रिवेणीगंज, रानीगंज, सहरसा, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, और सिलीगुड़ी तक जाने वालों के लिए नया रास्ता खोलेगी। साथ ही, मधुबनी के बेनीपट्टी में उचैठ भगवती स्थान जाने वाली सड़क से भी जुड़ेगी।

पहले इसे four-lane highway बनाने की योजना थी। लेकिन Gorakhpur-Siliguri Expressway के निर्माण के बाद, अधिकारियों ने two-lane with paved shoulders को बेहतर माना। ऐसा क्यों? Cost और practicality की वजह से। चार लेन शानदार लगता है, लेकिन एक और बड़ा expressway बन रहा है, तो ये डिज़ाइन बिना ओवरलैप के फायदा देगा।

लोगों के लिए इसका मतलब है कम समय में सफर, सुरक्षित रास्ता, और बाजारों-शहरों तक आसान पहुंच। एक किसान जो सुपौल से अररिया अनाज ले जाता है, उसका सफर अब आधे वक्त में हो सकता है। त्रिवेणीगंज और पिपरा के कारोबारियों को ज्यादा ग्राहक मिल सकते हैं, और बच्चे स्कूल समय पर पहुंच सकते हैं। ये छोटी-छोटी चीजें मिलकर बड़ा बदलाव लाती हैं।


कैसे बनेगी ये सड़क: खासियत और चुनौतियां

आइए, इस project की बारीकियों और मुश्किलों को देखें।

खासियतें
  1. Paved Shoulders: सड़क के दोनों तरफ अतिरिक्त जगह हादसों को कम करेगी। गाड़ी खराब हो तो किनारे खड़ी हो सकती है, ट्रैफिक रुकेगा नहीं। साइकिल चलाने वालों और पैदल चलने वालों के लिए भी सुरक्षित रास्ता।
  2. Bypasses: 24.60 किमी के bypasses भीड़ वाले कस्बों को छोड़ देंगे, जिससे सफर तेज होगा।
  3. Bridges और Underpasses: दो railway overbridges, दो flyovers, और दो vehicle underpasses ट्रैफिक को रेलवे और चौराहों पर रुकने से बचाएंगे।
  4. Speed Boost: 100 किमी/घंटा की speed limit इसे लंबी दूरी और छोटे सफर दोनों के लिए कारगर बनाएगी।
कीमत
  • Construction Cost: 1979.51 करोड़ रुपये, जिसमें सड़क से लेकर bridges तक सब शामिल है।
  • Land Acquisition: 350 हेक्टेयर निजी और 159 हेक्टेयर सरकारी जमीन ली जाएगी, जिसकी कीमत 618 करोड़ रुपये होगी। इसके लिए 1902 छोटे मकान तोड़े जाएंगे और 3353 पेड़ काटे जाएंगे—ये मुश्किल लेकिन जरूरी कदम है।
चुनौतियां

ऐसी सड़क बनाना आसान नहीं। Land acquisition सबसे बड़ी अड़चन है—350 हेक्टेयर निजी जमीन के लिए किसानों को मनाना मुश्किल हो सकता है। 618 करोड़ रुपये का मुआवजा जल्दी और निष्पक्ष ढंग से देना होगा। फिर पर्यावरण की बात: 3353 पेड़ कटेंगे, और कोसी का बाढ़ वाला इलाका मजबूत drainage की मांग करता है, वरना सड़क बह सकती है।

Hybrid Annuity Model से फंडिंग आसान होगी, लेकिन एजेंसी को 60% खर्च उठाना है, तो समय और गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। देरी हुई तो टाइमलाइन बिगड़ सकती है।


लोग क्या कह रहे हैं?

X पर लोग उत्साहित भी हैं और सतर्क भी। एक यूजर ने लिखा, “NH 327E का approval बिहार के लिए बड़ा कदम है—अब implementation पर ध्यान चाहिए।” दूसरे ने चार लेन से दो लेन की बात पर कहा, “थोड़ी कमी लगेगी, पर कुछ न होने से बेहतर है।” ये सच है—लोगों को चार लेन का भव्य सपना था, लेकिन दो लेन की बढ़िया सड़क भी बड़ी जीत है।

बिहार के Chief Minister ने भी International Women’s Day (8 मार्च 2025) पर ट्वीट किया, जिसमें विकास और महिला सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की बात थी। ये सड़क से सीधे नहीं जुड़ा, लेकिन बड़ी तस्वीर का हिस्सा है: ऐसी परियोजनाएं सबको—खासकर महिलाओं को—नौकरी, शिक्षा, और स्वास्थ्य तक पहुंच दिलाकर सशक्त बनाती हैं।


बड़ा असर

ये सिर्फ अररिया या सुपौल की बात नहीं—ये बिहार को जोड़ने की कहानी है। सिलीगुड़ी से connectivity अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी, जबकि मधुबनी और किशनगंज के रास्ते गांव शहरों से जुड़ेंगे। Ministry of Road Transport and Highways के मुताबिक, 2014 से 2024 तक भारत के National Highways 60% बढ़े—बिहार अब इस रेस में शामिल हो रहा है।

गुजरात का अहमदाबाद-वडोदरा हाईवे इसका उदाहरण है। वहां दो लेन से चार लेन और shoulders बनने पर पांच साल में व्यापार 30% बढ़ा। अररिया-परसरमा शायद इतना न करे, लेकिन 10-15% की बढ़ोतरी भी बड़ी बात होगी।


निष्कर्ष: आगे का रास्ता

अररिया-परसरमा हाईवे (NH 327E) सिर्फ कंक्रीट और पैसा नहीं—ये कोसी के लिए जीवन रेखा है। ये सड़क 111.82 किलोमीटर लंबी नहीं है बस—ये बेहतर दिनों का पुल है। Paved shoulders, bypasses, और bridges के साथ ये सुरक्षित, तेज सफर का वादा करती है, वो भी ऐसी कीमत पर जो बिहार झेल सके।

क्या मुश्किलें आएंगी? हां—land disputes और बाढ़ रुकावट डाल सकते हैं। क्या ये हर समस्या हल करेगी? नहीं—बिहार को एक से ज्यादा सड़क चाहिए। लेकिन जब पहला बुलडोजर चलेगा, तो ये साफ होगा: ये कागजी वादा नहीं, आगे का कदम है। कोसी के लोगों के लिए, ये 1979.51 करोड़ रुपये की हर पाई का मोल रखता है।

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