Air Pollution in Bihar: बिहार में वायु प्रदूषण ने खोली सरकार की नाकामी की पोल
Air Pollution in Bihar:- पटना, 12 मार्च 2025: बिहार में Air pollution लगातार बढ़ता जा रहा है, और हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने बिहार सरकार की नाकामी को उजागर कर दिया है। देश में वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम दावों के बावजूद, बिहार के लिए एक और शर्मनाक आंकड़ा सामने आया है। IQAir की ताजा World Air Quality Report के मुताबिक, दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में बिहार के 7 शहर शामिल हैं।
इनमें Bhagalpur, Araria, Patna, Hajipur, Chhapra, Saharsa और Muzaffarpur का नाम प्रमुखता से लिया गया है। इस रिपोर्ट ने Government efforts और उनके प्रभाव का विश्लेषण करने के बाद बिहार की हवा की बदतर हालत को सामने लाया है, जिसमें Bhagalpur को सबसे प्रदूषित शहरों में शीर्ष पर बताया गया है।

बिहार के शहरों का प्रदूषण में डब्बा गुल
इस साल जनवरी में जारी एक और रिपोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को और साफ कर दिया। इसके अनुसार, बिहार के 11 शहर देश के दैनिक Top-10 polluted cities की सूची में कम से कम एक बार जरूर शामिल हुए। Bhagalpur इस सूची में 28 बार रहा, Saharsa 21 बार, Chhapra 13 बार, Rajgir 8 बार, Araria 7 बार, Ara 6 बार, Patna 4 बार, और Kishanganj, Purnea, Samastipur व Muzaffarpur 1-1 बार इस लिस्ट में आए। ये आंकड़े बताते हैं कि बिहार के शहरों की Air quality लगातार खराब बनी हुई है।
पिछले एक साल में इन शहरों में 346 दिन वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से नीचे रही। WHO standards की बात करें तो स्थिति और भी भयावह है—90% दिन बिहार के इन 11 शहरों की हवा WHO के मानकों से खराब रही। राष्ट्रीय मानकों की तुलना में भी 70% दिन Air quality खराब पाई गई। सिर्फ Sasaram और Manguraha (Valmiki Tiger Reserve) जैसे इलाकों में 50% दिन हवा संतोषजनक रही।
Government Policies की नाकामी
बिहार सरकार और केंद्र सरकार की National Clean Air Programme (NCAP) जैसी योजनाएं अब तक कागजी शेर साबित हुई हैं। NCAP को लागू हुए करीब 5 साल हो चुके हैं, लेकिन बिहार के ज्यादातर शहर अभी तक इस योजना का हिस्सा नहीं बन सके हैं। योजना में तय लक्ष्य—जैसे Particulate matter को 40% तक कम करना—हासिल करने में सरकार नाकाम रही है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जिम्मेदारी तय न होने की वजह से सरकारी तंत्र में लापरवाही बरती गई। नतीजा? Pollution control की प्रक्रिया धीमी पड़ गई। Environmental experts का कहना है कि बिना सख्ती और जवाबदेही के ये योजनाएं सिर्फ दिखावा बनकर रह गई हैं।
हवा में जहर, जनता बेहाल
बिहार की हवा में PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। WHO के मुताबिक, PM2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन बिहार के शहरों में ये कई गुना ज्यादा है। Hajipur में पिछले साल नवंबर में AQI 427 तक पहुंच गया था, जो “Severe” श्रेणी में आता है। पटना और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में भी हालात कम चिंताजनक नहीं हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सांस की बीमारियां, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। एक स्थानीय नागरिक, राम प्रसाद ने कहा, “यहां सांस लेना मुश्किल हो गया है। सरकार कुछ करती क्यों नहीं?”
Government Efforts पर सवाल
बिहार सरकार ने Bihar Clean Air Action Plan की बात तो की, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर नजर नहीं आता। Brick kilns, Construction dust, और Biomass burning जैसे प्रदूषण के बड़े स्रोतों पर रोक लगाने में ढिलाई बरती जा रही है। केंद्र की NCAP योजना के तहत Patna, Muzaffarpur और Gaya को फंड मिला, लेकिन इसका इस्तेमाल आधा-अधूरा ही हुआ। Experts का मानना है कि बिना ठोस नीति और सख्ती के ये प्रयास बेकार हैं।
आगे क्या?
बिहार में Air pollution अब सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं, बल्कि Public health के लिए खतरा बन गया है। सरकार की उदासीनता और कार्रवाई की कमी से लोग परेशान हैं। अब सवाल ये है कि बिहार सरकार इस शर्मनाक स्थिति से उबरने के लिए क्या कदम उठाएगी? जनता को साफ हवा का हक देने के लिए ठोस रणनीति और तेजी से काम करने की जरूरत है। वरना, बिहार का नाम Pollution की काली सूची में और ऊपर चढ़ता जाएगा।
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