पटना: सड़क पर लापरवाही की कीमत चुकानी पड़ेगी
बिहार की सड़कों पर अब नियम तोड़ना आसान नहीं रहा। राजधानी पटना से लेकर राज्य के दूरदराज के जिलों तक, परिवहन विभाग ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। अप्रैल 2024 से अब तक, पुलिस और ट्रैफिक पुलिस की सिफारिशों के आधार पर 2,428 वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस को निलंबित (Suspended) किया गया है, जबकि 101 चालकों के लाइसेंस को स्थायी रूप से रद्द (Cancelled) कर दिया गया है। यह कार्रवाई सड़क सुरक्षा को मजबूत करने और दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नियम तोड़ने की आदत अब पड़ेगी भारी
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, “हम उन चालकों पर नकेल कस रहे हैं जो बार-बार नियम तोड़ते हैं। ओवरस्पीडिंग (Overspeeding), रैश ड्राइविंग (Rash Driving), रेड लाइट जंप करना (Red Light Jumping), ओवरलोडिंग (Overloading), बिना हेलमेट/सीट बेल्ट (No Helmet/Seat Belt) और गलत दिशा में वाहन चलाना (Wrong Side Driving) जैसे उल्लंघन अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।” उनका कहना है कि यह सिर्फ सजा देने की बात नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करने और सड़कों को सुरक्षित बनाने की कोशिश है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई चालक लगातार नियमों की अनदेखी करता है, तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द हो सकता है। “हम चाहते हैं कि लोग ट्रैफिक नियमों को गंभीरता से लें। इससे न सिर्फ उनकी अपनी जान बचेगी, बल्कि दूसरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी,” अग्रवाल ने कहा।
कार्रवाई के आंकड़े: कितने प्रभावित?
- पुलिस की अनुशंसा: पुलिस और ट्रैफिक विभाग ने 1,592 चालकों के लाइसेंस निलंबित करने और 61 के रद्द करने की सिफारिश की थी। इसमें से 1,586 का लाइसेंस निलंबित और 61 का रद्द किया गया।
- जिलों में एक्शन: पटना सहित अन्य जिलों में जिला परिवहन पदाधिकारियों ने 842 लाइसेंस निलंबित और 40 रद्द किए।
कुल मिलाकर, 2,428 निलंबन और 101 रद्दीकरण के साथ यह साफ है कि परिवहन विभाग इस बार कोई ढील देने के मूड में नहीं है।
सड़क हादसों का सच
बिहार में सड़क दुर्घटनाएँ एक गंभीर समस्या हैं। 2022 में हुए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 10,000 से ज्यादा सड़क हादसे दर्ज किए गए, जिनमें हजारों लोग मारे गए या घायल हुए। इनमें से ज्यादातर हादसे ओवरस्पीडिंग और रैश ड्राइविंग की वजह से हुए। मिसाल के तौर पर, पिछले साल मुजफ्फरपुर में एक तेज रफ्तार ट्रक ने स्कूटी सवार दो छात्रों को कुचल दिया। ऐसे हादसे रोकने के लिए ही यह सख्ती जरूरी हो गई है।
तकनीक से निगरानी, नियमों की पकड़ में हर कोई
इस अभियान को सफल बनाने के लिए परिवहन विभाग ने डिजिटल तकनीक का सहारा लिया है। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (Automatic Number Plate Recognition – ANPR) कैमरे अब सड़कों पर नजर रख रहे हैं। ये कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन करते हैं और उल्लंघन का डेटा तुरंत रिकॉर्ड करते हैं। पटना की व्यस्त सड़कों से लेकर छोटे शहरों तक, ये कैमरे चालकों की हर हरकत पर नजर रख रहे हैं। पुलिस और परिवहन विभाग की टीमें भी नियमित जांच कर रही हैं।
एक चालक की कहानी
पटना के रहने वाले रमेश यादव, जो ऑटो चलाते हैं, हाल ही में अपने लाइसेंस के निलंबन से परेशान हैं। “मैंने तीन बार रेड लाइट जंप किया था, और एक बार ओवरलोडिंग का चालान कटा। अब छह महीने तक ऑटो नहीं चला सकता,” वे बताते हैं। रमेश जैसे कई चालकों के लिए यह सजा उनकी रोजी-रोटी पर असर डाल रही है, लेकिन नियमों की अनदेखी की कीमत अब उन्हें समझ आ रही है।
जागरूकता भी जरूरी
सजा के साथ-साथ, परिवहन विभाग जागरूकता पर भी जोर दे रहा है। स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जहाँ बच्चों को हेलमेट पहनने और सिग्नल मानने की अहमियत बताई जा रही है। गाँवों में भी चौपालों के जरिए लोगों को समझाया जा रहा है कि सड़क सुरक्षा सबकी जिम्मेदारी है।
आगे क्या?
परिवहन विभाग का कहना है कि यह शुरुआत भर है। आने वाले दिनों में और सख्ती बढ़ेगी। अगर आप बिहार की सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं, तो सावधान रहें। हेलमेट पहनें, स्पीड सीमित रखें, और नियमों का पालन करें। नहीं तो आपका लाइसेंस भी खतरे में पड़ सकता है। यह सख्ती सिर्फ सजा नहीं, बल्कि एक सुरक्षित भविष्य का सपना है।
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